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फर्जी दूतावास वाले ठग हर्षवर्धन की 4 देशों में कंपनियां:4 लग्जरी कारें, 44 लाख कैश; पार्टनर ने स्विट्जरलैंड में ठगे 300 करोड़ |

दिल्ली से सटे गाजियाबाद के कविनगर में कोठी नंबर KB-35, सफेद रंग की इस आलीशान कोठी के गेट पर दूतावास का बोर्ड लगा है। डिप्लोमेटिक नंबर प्लेट वाली 4 लग्जरी गाड़ियां हमेशा इसके सामने खड़ी रहती थीं। 22 जुलाई की रात करीब 11:30 बजे UP STF की टीम ने यहां छापा मारा।

इतनी बड़ी कोठी में सिर्फ तीन लोग मिले। पहला- हर्षवर्धन जैन, उम्र करीब 47 साल, दूसरा उसका ड्राइवर और तीसरा नौकर।

हर्षवर्धन खुद को वेस्ट अर्टिका, सेबोर्गा, पौल्विया और लोडोनिया देशों का कॉन्सुल एंबेसडर बताता था। कविनगर में ही पुश्तैनी मकान होने के बावजूद उसने दूसरी कोठी किराए पर ली, जिसका किराया 1.8 लाख रुपए महीना है।

STF ने कोठी की तलाशी शुरू की। ऑफिस में रखे टेबल की दराज से 44.7 लाख रुपए मिले। इसके अलावा यूरो, डॉलर, पाउंड के साथ सऊदी अरब और तुर्किये की करेंसी भी मिली। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि ये मामला करोड़ों के अवैध लेनदेन और फर्जीवाड़े का है। हर्षवर्धन की ब्रिटेन, मॉरीशस, कैमरून और दुबई में कंपनियां हैं।

जांच एजेंसियों के मुताबिक, हर्षवर्धन ने कबूल किया कि उसने विदेशों में जॉब दिलाने के नाम पर लोगों से पैसे ठगे हैं। उसने जिन देशों के दूतावास और वहां के एंबेसडर होने का दावा किया, असल में वे हैं ही नहीं। इससे साफ हो गया कि मामला सिर्फ विदेशों में जॉब दिलाने के नाम पर ठगी का नहीं है।

प्रधानमंत्री और पूर्व राष्ट्रपति के साथ मॉर्फ्ड फोटो कोठी के सामने वाले कमरे में ऑफिस है। इसमें बड़ी से कुर्सी और टेबल रखी है। पीछे की तरफ अलग-अलग देशों के झंडे हैं। दीवार पर हर्षवर्धन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ फोटो लगी हैं। पता चला कि ये सभी मॉर्फ्ड फोटो हैं। इसके अलावा हर्षवर्धन जैन के पर्सनल प्लेन और हेलिकॉप्टर के साथ भी फोटो हैं।

STF को सेंट्रल एजेंसियों से भी हर्षवर्धन के बारे में इनपुट मिला था। STF ने हर्षवर्धन से पूछताछ शुरू की। पूछा कि कोठी में मिला कैश कहां से आया। हर्षवर्धन बार-बार सवालों को नजरअंदाज करने लगा। जांच टीम से बार-बार सेबोर्गा की राजकुमारी मारिया सेरा से बात करने के लिए कहता रहा। सेबोर्गा इटली में एक माइक्रो नेशन है, जिसे मान्यता नहीं मिली है।

हर्षवर्धन की डायरी में 25 साल का लेखा-जोखा जांच एजेंसी से जुड़े सोर्स के मुताबिक, हर्षवर्धन के हवाला लेनदेन की भी पड़ताल शुरू की गई। इसी दौरान STF को कोठी से एक डायरी मिली। इसमें हर्षवर्धन ने पिछले 25 साल का पूरा लेखा-जोखा लिख रखा था।

डायरी से पता चला कि हर्षवर्धन 30 से ज्यादा देश घूम चुका है। डायरी में एक नाम कई बार आया- एहसान अली सैयद। साथ में उसके जन्मदिन की तारीख 23 अप्रैल 1973 लिखी थी। उसकी पत्नी का नाम निखत फातिमा अली सैयद लिखा था।

एहसान के बारे में पूछे जाने पर हर्षवर्धन ने सिर्फ इतना बताया कि हमारी मुलाकात गुरुजी चंद्रास्वामी ने कराई थी। साल 2000 में चंद्रास्वामी ने मुझे लंदन भेजा था। वहां भेजने से पहले एहसान अली सैयद को फोन करके बताया था कि हर्षवर्धन को इंडिया से लंदन भेज रहा हूं। ये हमारे बेहद खास हैं। लंदन पहुंचकर मैं एहसान से मिला था।

हर्षवर्धन ने ये भी बताया कि उसने गाजियाबाद से BBA और लंदन से MBA किया था। लंदन में एहसान अली के साथ बिजनेस शुरू किया। एहसान अभी कहां है, क्या उसी ने पैसे भेजे थे, इस बारे में हर्षवर्धन ने कुछ नहीं बताया है।

इसके बाद जांच टीम ने एहसान की पड़ताल की। पता चला कि उसे 2022 में लंदन में फ्रॉड केस में अरेस्ट किया गया था। स्विट्जरलैंड और बहरीन में वेस्टर्न गल्फ एडवाइजरी कंपनी बनाकर उसने 304 करोड़ रुपए की ठगी की थी।

उसने स्विट्जरलैंड की कुछ कंपनियों को कम ब्याज पर 800 करोड़ से ज्यादा का लोन दिलाने का लालच दिया था। ये कंपनियां पैसे की तंगी झेल रही थीं। उन्हें लोन की जरूरत थी। एहसान ने लोन दिलाने के बदले में कंपनियों से 304 करोड़ रुपए ले लिए। इसके बाद गायब हो गया।

स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में मामले की जांच शुरू हुई थी। 2022 में एहसान को ब्रिटेन से गिरफ्तार किया गया। 2024 में उसे स्विट्जरलैंड लाया गया। जुलाई 2025 में एहसान को साढ़े 6 साल की सजा हुई है।

हर्षवर्धन और एहसान ने लंदन में कंपनियां खोलीं जांच में पता चला कि एहसान अली सैयद अलग-अलग देशों में लोन दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा कर चुका है। हर्षवर्धन जैन ने एहसान से लंदन में ट्रेनिंग ली। वह खुद को अलग-अलग देशों का दूतावास अधिकारी बताकर ठगी करने लगा।

जांच एजेंसियों को शक है कि हर्षवर्धन जैन, एहसान अली सैयद और उसकी शैल कंपनियों के पैसों की हेराफेरी का काम देखता था। इस एंगल को और पुख्ता करने के लिए UP STF की टीम इंटरपोल के जरिए एहसान अली सैयद के नाम का ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी कराने की तैयारी में है।

अब तक की जांच में ये भी पता चल रहा है कि एहसान अली सैयद ने तुर्किये की नागरिकता ले रखी है। हालांकि, इसकी पुष्टि होनी बाकी है।

वहीं, SFT की जांच में पुष्टि हो चुकी है कि एहसान अली सैयद के साथ मिलकर हर्षवर्धन जैन ने लंदन में 10 से ज्यादा कंपनियां खोली थीं। उन्हीं कंपनियों के नाम पर दोनों दलाली के साथ हवाला का कारोबार भी करते थे।

भाई के साथ दुबई गया, वहां कंपनियां खोलीं जांच एजेंसियों के मुताबिक, एहसान अली के अलावा हर्षवर्धन दूसरे नेटवर्क से भी विदेशों में फर्जी कंपनियां खोलकर पैसों की हेराफेरी कर रहा था। STF की जांच में पता चला कि वह 2006 में चचेरे भाई के जरिए दुबई गया था। वहां हैदराबाद के शफीक और दुबई के रहने वाले इब्राहिम के साथ मिलकर फर्जी कंपनियां खोलीं।

इसी दौरान हर्षवर्धन मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी देशों में जाता रहा। वहीं से उसने छोटे-छोटे देशों के बारे में जानकारी जुटाई। इसका जिक्र उसने अपनी डायरी में भी किया है। डायरी में लिखा है कि हर्षवर्धन को 2012 में माइक्रोनेशन सेबोर्गा का एडवाइजर बनाया गया। 2016 में उसे वेस्ट अर्टिका के एंबेसडर का पद मिला। हालांकि, उसे सैलरी नहीं मिलती थी।

इसी तरह हर्षवर्धन पौल्विया और लोडोनिया नाम के देशों का भी एंबेसडर बन गया। ज्यादातर देशों में वह पर्यावरण जागरूकता में मदद करने के नाम पर कॉन्टैक्ट करता था। इसके बाद बिना सैलरी के बस नाम के लिए एडवाइजर बनने को तैयार हो गया। इसकी आड़ में फर्जी कंपनी बनाकर हवाला के पैसों की हेराफेरी करने लगा।

उसके दुबई में 6, ब्रिटेन में 3, भारत और मॉरीशस में एक-एक बैंक खाते की जानकारी मिली है। शक है कि इन्हीं बैंक खातों में फर्जीवाड़े और दलाली के पैसे हवाला के जरिए अलग-अलग जगहों पर मंगाए जाते थे। हवाला के जरिए ही हर महीने लाखों रुपए गाजियाबाद मंगाए जाते थे। इन्हें खपाने के लिए हर्षवर्धन जैन ने अपने पुश्तैनी मकान के पास किराए पर कोठी ली थी।

पिता बोले- बेटे ने जो किया, उससे लेना-देना नहीं दैनिक भास्कर की टीम 24 जुलाई को हर्षवर्धन जैन की कोठी पर पहुंची। ये कोठी गाजियाबाद के सबसे पॉश एरिया में शामिल कविनगर के केबी ब्लॉक में है। हर्षवर्धन हर महीने इसका 1.80 लाख किराया देता था। इसी कोठी से कुछ कदम दूर हर्षवर्धन की पुश्तैनी कोठी है। उसका नंबर है KB-45। इस कोठी से सटा जैन मंदिर है।

हम वहां पहुंचे तो पता चला कि हर्षवर्धन जैन के पिता जेडी जैन अब भी इसी मकान में रहते हैं। मकान के बाहर एक बोर्ड लगा है। इस पर जेडी जैन का नाम लिखा है। साथ ही लिखा है एनिमल वेलफेयर ऑफिसर, मिनिस्ट्री ऑफ एनवायर्नमेंट एंड फॉरेस्ट, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया।

इसी जगह श्रीएसएस जैन सभा का बोर्ड लगा है। इसके प्रधान जेडी जैन ही हैं। वे गाजियाबाद के बड़े कारोबारी रहे हैं। हमने उनसे फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि वे चेन्नई में एनिमल वेलफेयर कमेटी से जुड़े हैं, इसलिए घर के बाहर बोर्ड लगा रखा है।

हमने उनके बेटे हर्षवर्धन की गिरफ्तारी के बारे में पूछा। इस पर जेडी जैन ने कहा-

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हर्षवर्धन से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। अभी मैं इस घर में पत्नी के साथ रह रहा हूं। इससे ज्यादा कोई बात नहीं करना चाहता।

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इसके बाद हमने श्री एसएस जैन सभा के महामंत्री सुनील जैन से बात की। वे कहते हैं, ‘जेडी जैन काफी धार्मिक व्यक्ति हैं। हर्षवर्धन काफी समय से पिता से अलग किराए पर रह रहे थे। जेडी जैन के दो बेटे हैं। बड़े बेटे अपनी मां के साथ बुटीक का काम करते हैं।

हर्षवर्धन के बारे में हम लोगों को पहले से जानकारी नहीं थी। मीडिया से पता चला कि वो फर्जी दूतावास चला रहे थे। हालांकि, हमेशा उनकी कोठी के बाहर लग्जरी कारें खड़ी होती थीं। ये नहीं पता था कि वे फर्जीवाड़ा कर रहे थे।


हर्षवर्धन जैन की कोठी के पास हमें मनीष मिले। वे कहते हैं,’मैं यहीं रहता हूं। यहां से गुजरते हुए कोठी के सामने महंगी गाड़ियां देखता था। ये पूरा इलाका ही VVIP है, इसलिए ऐसी गाड़ियों के खड़े रहने से कभी हैरानी नहीं हुई। उन गाड़ियों पर झंडे लगे रहते थे।’

‘ये पता नहीं था कि इस कोठी को दूतावास बनाया गया है। यहां से 500 मीटर दूर पुलिस चौकी है। DM और पुलिस कमिश्नर का ऑफिस है। एक किमी दूर कविनगर थाना है। यहां 24 घंटे पुलिस की पेट्रोलिंग होती रहती है। कभी कोई शक नहीं हुआ।’

पड़ोसी बोले- पिता दानी, बेटा ठग होगा, कभी सोचा नहीं था कविनगर की रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन के अजय गुप्ता बताते हैं, ‘मुझे इस फर्जीवाड़े के बारे में जानकारी नहीं थी। यहां कई देशों के झंडे लगे रहते थे। हर्षवर्धन शहर के नामी लोगों से जुड़े थे। उनके पिता जेडी जैन से हमारी बात होती थी।'

अजय बताते हैं कि हमें लगता था हर्षवर्धन के पिता का ही काम चल रहा है। इसलिए हम लोग इसमें किसी तरह के फर्जीवाड़े के बारे में सोच भी नहीं सकते थे।