कारगिल विजय दिवस:PM ने लिखा- वीर सपूतों के साहस को सलाम; 2 केंद्रीय मंत्री द्रास पहुंचे, रक्षा मंत्री ने वॉर मेमोरियल में श्रद्धांजलि दी
कारगिल विजय दिवस के 26 साल पूरे होने पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचे। उनके साथ तीनों सेना प्रमुख भी मौजूद रहे। राजनाथ ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।
उधर लद्दाख के द्रास में आयोजित कार्यक्रम में दो केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया और संजय सेठ ने हिस्सा लिया। मंत्रियों ने 1999 की लड़ाई में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। फिर पदयात्रा निकाली।
5 मई 1999 को पाकिस्तान की घुसपैठ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की पहाड़ी चोटियों पर जंग हुई थी। युद्ध करीब 84 दिनों तक चला। 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत के साथ युद्ध आधिकारिक तौर पर खत्म हुआ। इसमें भारतीय सैनिकों के बलिदान और वीरता को याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
भारत ने ऑपरेशन विजय चलाकर कारगिल जंग लड़ी थी कारगिल की लड़ाई की शुरुआत तब हुई, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर चुपचाप कब्जा कर अपने ठिकाने बना लिए थे। 8 मई 1999 को कारगिल की आजम चौकी पर पाकिस्तान के करीब 12 जवानों ने कब्जा कर लिया था।
शुरुआत में इसे घुसपैठियों द्वारा किया गया हमला बताया गया था, लेकिन बाद में यह साफ हो गया कि इसमें पाकिस्तानी सेना शामिल थी। इन पाकिस्तानी सैनिकों को एक भारतीय चरवाहे ने देख लिया था। इस चरवाहे ने भारतीय सेना के जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों के घुसपैठ की सूचना दी। इस तरह भारत को पहली बार घुसपैठ की जानकारी मिली।
पहले भारत समझ रहा था कि थोड़े बहुत आतंकियों ने ही कश्मीर की घाटी पर कब्जा किया है, इसलिए भारत ने चंद सैनिकों को ही इन्हें खदेड़ने के लिए भेजा। जब भारतीय सेना पर अलग-अलग चोटियों से जवाबी हमले हुए तब पता चला कि ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
तत्काल भारतीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने अपना रूस दौरा रद्द कर दिया। इसके बाद ऑपरेशन विजय लॉन्च किया गया। पाक सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे, इस वजह से भारतीय सैनिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
भारतीय जवानों ने दुश्मन की नजर से बचने के लिए रात में मुश्किल चढ़ाई की। शुरुआत में भारतीय सेना को इसी वजह से खासा नुकसान उठाना पड़ा था।
भारत ने मिग-29 और मिराज-2000 से हमले किए थे इस युद्ध में वायुसेना और नौसेना की भी बड़ी भूमिका रही। वायुसेना ने मिग-29 और मिराज- 2000 विमानों के जरिए पाक सैनिकों पर बम बरसाए। इस दौरान पाकिस्तान ने हमारे दो लड़ाकू विमान मार गिराए थे जबकि एक क्रैश हो गया था।
नौसेना ने ऑपरेशन तलवार चलाया। इसके तहत कराची समेत कई पाक बंदरगाहों के रास्ते रोक दिए गए ताकि वह कारगिल युद्ध के लिए जरूरी तेल और ईंधन की सप्लाई न कर सके। साथ ही भारत ने अरब सागर में अपने जहाजी बेड़े को लाकर पाकिस्तान के समुद्री व्यापार रास्ते को भी बंद कर दिया था।
इस युद्ध में एक निर्णायक मोड़ तब आया जब भारत ने बोफोर्स तोपों को भी युद्ध मैदान में उतारने का फैसला लिया। आसमान से वायुसेना का हमला और जमीन से बोफोर्स तोप के भारी-भरकम गोलों ने पाकिस्तानी सैनिकों को भागने पर मजबूर कर दिया।
करीब 2 महीने तक दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध चलता रहा। इस युद्ध में 527 भारतीय जवान शहीद हुए और पाकिस्तान के भी करीब 3000 सैनिक मारे गए। हालांकि, पाकिस्तान केवल 357 सैनिकों के मरने का ही दावा करता है। आखिरकार 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल के आखिरी चोटी पर भी कब्जा कर लिया।