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भारत में सस्ते दामों पर मक्का-सोयाबीन बेचने पर अड़ा अमेरिका:इससे भारतीय किसानों को नुकसान

भारत और अमेरिका के बीच होने वाली ट्रेड डील, कृषि उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी के चलते बीच में अटक गई है। ट्रेड डील के लिए अमेरिका अपने जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फूड जैसे मक्का और सोयाबीन पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने की मांग कर रहा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका चाहता है कि ये प्रोडक्ट भारत में सस्ते बिकें। वहीं भारत सरकार किसानों को नुकसान से बचाने के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी नहीं घटाना चाहती। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि अगर अमेरिका के सस्ते GM फूड भारत में आ जाएंगे, तो भारतीय किसानों की फसलें बिकना मुश्किल हो जाएगी।

ऐसे में डील पर असमंजस बना हुआ है। 9 जुलाई की डेडलाइन से पहले इसका हल निकलना मुश्किल लग रहा है। यहां सवाल जवाब में जानें ट्रेड डील नहीं होने पर भारत को क्या नुकसान होगा...

सवाल: ये ट्रेड डील क्या है और इसका मकसद क्या है?

जवाब: ये भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता है, जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के सामान पर इम्पोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) कम करके व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। भारत चाहता है कि उसके टेक्सटाइल, चमड़ा, दवाइयां, और कुछ इंजीनियरिंग सामान पर अमेरिका में जीरो टैक्स लगे, जबकि अमेरिका अपने कृषि और औद्योगिक उत्पादों के लिए भारत में बाजार चाहता है।

सवाल: इस डील की डेडलाइन कब है?

जवाब: डील को 9 जुलाई 2025 तक फाइनल करने की कोशिश है। अगर इस तारीख तक कोई सीमित समझौता नहीं हुआ, तो भारत के सामान पर अमेरिका 26% शुल्क लगा सकता है।

सवाल: अमेरिका की मांगें क्या हैं?

जवाब: अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलों (मक्का, सोयाबीन) और अन्य कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे। साथ ही, वो मेडिकल डिवाइसेज पर टैरिफ और डेटा लोकलाइजेशन नियमों में ढील चाहता है। अमेरिका अपने डेयरी उत्पादों, गाड़ियों, और व्हिस्की जैसे सामानों के लिए भी कम शुल्क की मांग कर रहा है।

सवाल: इस डील की डेडलाइन कब है?

जवाब: डील को 9 जुलाई 2025 तक फाइनल करने की कोशिश है। अगर इस तारीख तक कोई सीमित समझौता नहीं हुआ, तो भारत के सामान पर अमेरिका 26% शुल्क लगा सकता है।

सवाल: अमेरिका की मांगें क्या हैं?

जवाब: अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलों (मक्का, सोयाबीन) और अन्य कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे। साथ ही, वो मेडिकल डिवाइसेज पर टैरिफ और डेटा लोकलाइजेशन नियमों में ढील चाहता है। अमेरिका अपने डेयरी उत्पादों, गाड़ियों, और व्हिस्की जैसे सामानों के लिए भी कम शुल्क की मांग कर रहा है।