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अमेरिका ने ईरान पर हमले की 2 साल तैयारी की

अमेरिका ने रविवार सुबह (भारतीय समयानुसार 4:10 बजे) ईरान के 3 परमाणु ठिकानों पर 7 B-2 बॉम्बर से हमला किया। ये ठिकाने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फहान में थे। इस हमले को ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम दिया गया।

इस दौरान अमेरिका ने फोर्डो और नतांज पर 30 हजार पाउंड (14 हजार किलो) के एक दर्जन से ज्यादा GBU-57 बम (बंकर बस्टर) गिराए। वहीं, इस्फहान और नतांज पर 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें भी दागीं। इन्हें 400 मील दूर अमेरिकी पनडुब्बियों से लॉन्च किया गया था।

इस पूरे ऑपरेशन में कुल 75 प्रिसिशन गाइडेड वेपंस (सटीक हमला करने वाले हथियार) का इस्तेमाल किया गया। वहीं, हमले में 125 एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया, जिनमें फाइटर जेट्स, रीफ्यूलिंग टैंकर और स्टेल्थ विमान शामिल थे।

न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, इस ऑपरेशन के लिए अमेरिका की ओर से खास रणनीति बनाई गई थी। इसकी तैयारी पिछले 2 साल से की जा रही थी। अमेरिका ने हमले से पहले B-2 बॉम्बर्स को देश की पश्चिमी तरफ तैनात कर भ्रम पैदा किया और ईरान को हमले का पता नहीं लग पाया। ईरान, अमेरिका के पूर्व में स्थित है।

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर की रणनीति

2 साल से तैयारी कर रहा था अमेरिका

रिपोर्ट में सामने आया है कि अमेरिका ने पिछले 2 सालों से चल रही तैयारी की किसी को भी भनक नहीं लगने दी और तीनों न्यूक्लियर साइट्स के बार में जानकारी जमा की। अमेरिका अभी की ही तरह किसी मौके की तलाश में था। इजराइल-ईरान युद्ध में उसे जैसे मौका मिला उसने इन साइट्स पर हमला कर दिया।

हमले को लेकर भ्रम पैदा किया

अमेरिका ने हमले की जल्दबाजी न दिखाते हुए इस ऑपरेशन को छिपाने के लिए भ्रम पैदा किया। हमले से दो दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वह दो हफ्तों में युद्ध को लेकर कोई निर्णय लेंगे।

वहीं, कुछ B-2 बॉम्बर्स को जानबूझकर अमेरिका की पश्चिमी तरफ भेजा गया, ताकि ये एक सैन्य अभ्यास लगे और मौका मिलने पर असली हमला ईस्ट की ओर ईरान में किया जा सके। दरअसल, कुछ बॉम्बर को प्रशांत महासागर में तैनात किया गया, ताकि ईरान को लगे कि हमला प्रशांत महासागर की तरफ से होगा, जबकि असली हमला व्हाइट-मैन एयरफोर्स बेस (मिसौरी) से किया गया।


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