चेतेश्वर के पुजारी से पुजारा बनने की कहानी:टेस्ट में भारतीय बैटिंग की बैक बोन कहलाए; आज इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहा
10 साल की उम्र में वीडियो गेम की लत गई। मां ने कहा अगर तुम्हें गेम खेलना ही है तो मेरी एक शर्त मानों। तुम्हें रोज 10 मिनट पूजा करनी होगी। इसके बाद पूजा करना रोज की रूटीन में शामिल हो गया। कुछ समय बाद वीडियो गेम की लत बैटिंग करने की लत में बदल गई।
घर के बारामदे से शुरू हुआ बैटिंग का सिलसिला राजकोट के हर छोटे-बड़े मैदान से गुजरता हुआ मेलबर्न से लेकर लॉर्ड्स तक पहुंचा। दुनिया का हर मशहूर ग्राउंड उसके कारनामों का गवाह बना।
यह छोटी, लेकिन सच्ची कहानी चेतेश्वर पुजारा की है। पुजारा ने आज इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। आगे की स्टोरी में जानेंगे कि एक नन्हा पुजारी भारतीय टेस्ट टीम का दिग्गज बल्लेबाज कैसे बना?
चाचा भी रणजी खिलाड़ी, पिता पहले कोच
पुजारा के पिता अरविंद और मां रीमा ने जल्दी ही अपने बेटे की प्रतिभा को पहचान लिया। 8 साल की छोटी-सी उम्र में अपने पिता से क्रिकेट का कखग..सीखा। अरविंद कोच के रूप में बहुत सख्त थे। थोड़ी-सी गलती होने पर सबके सामने डांट पड़ती थी। पुजारा के चाचा बिपिन भी सौराष्ट्र की ओर से रणजी खेल चुके हैं।
17 साल की उम्र में सिर से उठा मां का आंचल
पुजारा 17 साल के थे, जब उनके सिर से मां का आंचल उठ गया। 2005 में वे अंडर-19 का मैच खेल कर लौटे। पुजारा ने अपनी मां रीमा को फोन पर कहा कि पिताजी को लेने के लिए राजकोट बस स्टैंड भेज दें, लेकिन इस युवा को बस स्टैंड में पिता की जगह एक रिश्तेदार मिला, जिसने उन्हें बताया कि आपकी मां का निधन हो चुका है। इसी साल पुजारा ने रणजी डेब्यू किया।
2009 में टूटी हैमस्ट्रिंग बोन, शाहरुख खान ने मदद की
2009 में साउथ अफ्रीका में इंडियन प्रीमियर लीग में कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से खेलते हुए पुजारा की हैमस्ट्रिंग बोन टूट गई। ऐसे में परिवार वाले उन्हें राजकोट लाना चाहते थे, लेकिन टीम के मालिक शाहरुख ने पुजारा के परिजनों से बात की और उन्हें साउथ अफ्रीका में पुजारा की सर्जरी कराने के लिए राजी किया। शाहरुख का तर्क था कि रग्बी खिलाड़ियों को इस तरह की चोट लगती है और वहां के डॉक्टर इसकी सर्जरी अच्छे से करते हैं। शाहरुख ने पुजारा के पिता का पासपोर्ट बनाया और उन्हें साउथ अफ्रीका ले गए।
लक्ष्मण की गैरमौजूदगी में टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी
करीब 15 साल पहले 2010 में पुजारा ने बेंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी। सीरीज के दूसरे मुकाबले की चौथी पारी में भारत को 200 से ज्यादा रनों का लक्ष्य मिला था और भारत ने 17 रन पर वीरेंद्र सहवाग का विकेट गंवा दिया था।
सीरीज के पहले मुकाबले की चौथी पारी में 72 रन की क्लासिकल पारी खेलकर टीम को जीत दिलाने वाले VVS लक्ष्मण भी उस मैच में नहीं खेल रहे थे। वे चोटिल थे। ऐसे में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टीम को बचाने का जिम्मा युवा पुजारा को दिया, जबकि वे इस मुकाबले की पहली पारी में महज 4 रन ही बना सके थे। उसके बावजूद धोनी बैटिंग ऑर्डर में बदलाव करते हुए पुजारा को राहुल द्रविड़ की जगह नंबर-3 पर उतारा।
पुजारा ने भी कप्तान को निराश नहीं किया और 72 रनों की पारी खेलकर टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी। भारत ने वह मैच 7 विकेट से जीता।
खुद को द्रविड़ का विकल्प साबित किया
पुजारा ने अपने दमदार डिफेंस के दम पर खुद को द्रविड़ के विकल्प के तौर पर साबित किया और धीरे-धीरे नंबर-3 पर अपनी जगह पक्की कर ली। 99 टेस्ट में उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं। अब ग्राफिक में देखिए पुजारा की यादगार पारियां...