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CM सिद्धारमैया ने राष्ट्रपति से पूछा- कन्नड़ आती है:मुर्मू बोलीं- हर भाषा-परंपरा से प्यार, कन्नड़ भी सीखूंगी

BJP प्रदेशाध्यक्ष बोले- सिद्धारमैया की टिप्पणी अहंकार से भरी

इस घटना पर पूर्व CM बीएस येदियुरप्पा के बेटे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें कहा गया कि सिद्धारमैया की टिप्पणी अहंकार, अपमानजनक और राजनीतिक दिखावे से भरी है। इसने राज्य की आतिथ्य परंपरा का उल्लंघन किया है।

विजयेंद्र ने आगे लिखा, 'कन्नड़ हमारा गौरव है, लेकिन एक भाषा को एकजुट करना चाहिए और पुल का निर्माण करना चाहिए, न कि इसे कभी भी दूसरों को नीचा दिखाने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।'

कर्नाटक में लागू हैं कन्नड़ से जुड़े तीन कानून

कर्नाटक में कन्नड़ लैंग्वेज लर्निंग एक्ट- 2015, कन्नड़ लैंग्वेज लर्निंग रूल- 2017 और कर्नाटक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट रूल- 2022 कानून लागू हैं। वहीं सिद्धारमैया सरकार के नियमों के मुताबिक सभी सरकारी ऑफिस, स्कूलों, कॉलेजों और बिजनेस में कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता दी जाएगी।

सार्वजनिक साइनबोर्ड, एडवर्टाइजमेंट और वर्क प्लेस पर कन्नड़ भाषा बोली-लिखी जाएगी। सामानों की पैकेजिंग पर नाम और जानकारी कन्नड़ में छापना अनिवार्य होगा। यह नियम सरकारी और प्राइवेट दोनों संस्थानों के लिए होगा।

लैंग्वेज को लेकर पहले भी विवाद

कर्नाटक में लंबे समय से कन्नड़ भाषा के संरक्षण और प्रचार को लेकर आंदोलन होते रहे हैं। हाल ही में बेंगलुरु में दुकानों पर गैर-कन्नड़ नेम प्लेट को लेकर प्रदर्शन हुए थे। इसके अलावा, महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच बस सेवाएं भी रोकनी पड़ी थीं, क्योंकि बसों पर कन्नड़ साइनबोर्ड नहीं लगे थे

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