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जहरीला कफ सिरप बनाने वाली कंपनी का डायरेक्टर गिरफ्तार;एमपी SIT ने रंगनाथन को चेन्नई से पकड़ा; दवा से अब तक 24 बच्चों की मौत

मुख्यमंत्री आज जाएंगे नागपुर, चारों बच्चों का हाल जानेंगे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज नागपुर जाएंगे। सीएम वहां के अस्पतालों में भर्ती चारों बच्चों का हाल जानेंगे। उनके परिजन से बात करेंगे। इनमें से गार्विक पवार नागपुर मेडिकल कॉलेज में, अंबिका विश्वकर्मा न्यू हेल्थ सिटी हॉस्पिटल जबकि कुणाल यदुवंशी और हर्ष यदुवंशी नागपुर एम्स में इलाज करा रहे हैं।

इससे पहले सीएम ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार हर कदम पर पीड़ित परिवारों के साथ है। सभी बच्चों का इलाज सरकार ही कराएगी। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

वहीं, छिंदवाड़ा महापौर विक्रम अहके ने कहा है कि बच्चों की मौतों को देखते हुए वे 10 अक्टूबर को अपना जन्मदिन नहीं मनाएंगे। उन्होंने समर्थकों से अपील की है कि केक, बुके, आतिशबाजी, फ्लैक्स और उपहारों की राशि इकट्ठा कर पीड़ित परिवार को दी जाए। इसके लिए महापौर निवास पर एक बॉक्स लगाया जाएगा, जिसमें सहयोग की राशि डाली जा सकती है।

केमिकल खरीदी का न बिल, न एंट्री इस बीच कोल्ड्रिफ सिरप की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। तमिलनाडु डायरेक्टर ऑफ ड्रग्स कंट्रोल की रिपोर्ट में सामने आया है कि यह सिरप नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल से तैयार किया गया था।

जांच के दौरान कंपनी के मालिक ने मौखिक रूप से स्वीकार किया है कि उसने दो बार में प्रोपलीन ग्लायकॉल के 50 किलो के दो बैग खरीदे थे। यानी कंपनी ने 100 किलो जहरीला केमिकल खरीदा था। जांच में इसका न कोई बिल मिला है, न खरीद की एंट्री की गई। पूछताछ में जांच अधिकारियों को बताया गया कि भुगतान कभी कैश तो कभी गूगल पे (G-Pay) से किया था।

जहरीले केमिकल की मात्रा 486 गुना ज्यादा

दवा बनाने वाली कंपनी ने घटिया क्वालिटी का प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा। उसका कभी टेस्ट भी नहीं कराया। चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी के पास न तो खरीदी के बिल हैं और न ही प्रयोग किए गए केमिकल के रिकॉर्ड मौजूद हैं।

लैब जांच में यह भी पाया गया कि सिरप में डाईएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लायकॉल (EG) जैसे जहरीले रसायनों की मौजूदगी तय सीमा से 486 गुना अधिक थी।

इधर, एक एक्सपर्ट ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया है कि यह मात्रा न सिर्फ बच्चों के लिए घातक है बल्कि यह हाथी के बराबर के जानवर की भी किडनी और ब्रेन को नष्ट कर सकती है।

मार्च में खरीदा गया था केमिकल जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने चेन्नई की सनराइज बायोटेक से 25 मार्च 2025 को प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा था। यह नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड का था यानी दवा बनाने के लिए उपयुक्त नहीं था। इसके बावजूद कंपनी ने न तो इसकी शुद्धता जांची और न ही इसमें डाईएथिलीन ग्लायकॉल या एथिलीन ग्लायकॉल की मात्रा का परीक्षण किया।

दस्तावेज छिपाने का किया प्रयास तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने पाया कि इस घटिया केमिकल से कई दवाएं तैयार की गईं। ऐसे में निरीक्षण के दौरान जांच टीम ने अपनी इन्वेस्टिगेशन को जारी रखा। जिसमें उन्होंने पाया कि कंपनी के पास उस समय प्रोपलीन ग्लायकॉल का कोई स्टॉक नहीं था। इससे शक और गहरा गया कि कंपनी ने केमिकल को तेजी से खत्म कर दस्तावेज छिपाने की कोशिश की।

तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने कहा कि यह जांच सार्वजनिक सुरक्षा के हित में अत्यंत आवश्यक थी, क्योंकि नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल के इस्तेमाल से बनी दवाएं बच्चों और वयस्कों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।

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