ट्रम्प का चीन पर 100% टैरिफ, 1 नवंबर से लागू:रेयर खनिज निर्यात पर कंट्रोल से नाराज, कहा- चीन दुनिया को बंधक बनाने की कोशिश में
चीन ने 5 रेयर अर्थ मटेरियल्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए
चीन के पास दुनिया के 17 दुर्लभ खनिज (रेयर अर्थ मटेरियल्स) हैं, जिन्हें वह दुनिया को निर्यात करता है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक सामान, EVs और डिफेंस सेक्टर में होता है। चीन ने पहले से 7 दुर्लभ खनिजों पर कंट्रोल कर रखा था, लेकिन 9 अक्टूबर को इसमें 5 और (होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम और यटरबियम) जोड़ दिए गए।
यानी कि चीन का 17 में से 12 दुर्लभ खनिजों पर कंट्रोल हो गया है। इनके इस्तेमाल से पहले चीन से एक्सपोर्ट लाइसेंस लेना जरूरी होगा।
इस कदम से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सुरक्षा और उद्योग पर असर पड़ सकता है, क्योंकि चीन दुनिया की 70% दुर्लभ खनिज आपूर्ति और 90% प्रोसेसिंग कंट्रोल करता है।
ट्रम्प बोले- चीन के कदम से सप्लाई चेन पर असर
ट्रम्प ने कहा, 'चीन ने दुनिया को एक बेहद आक्रामक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि 1 नवंबर 2025 से वे लगभग हर उत्पाद पर बड़े पैमाने पर नियंत्रण लगाएगा। इसमें चीन में बने उत्पाद ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसे सामान भी शामिल हैं जो चीन में बने ही नहीं हैं। यह फैसला सभी देशों पर लागू होगा।'
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे नैतिक रूप से शर्मनाक बताया है। उनका कहना है कि यह योजना चीन ने सालों पहले तैयार की थी। राष्ट्रपति ने कहा, 'यह विश्वास करना मुश्किल है कि चीन ने ऐसा कदम उठाया, लेकिन उन्होंने उठा लिया। बाकी इतिहास खुद बता देगा।'
ट्रम्प ने आगे कहा, 'यह घटना वैश्विक व्यापार को हिला सकती है, क्योंकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सप्लाई चेन डिस्टर्ब हो सकती है और कीमतें बढ़ सकती हैं।'
ट्रम्प बोले- शी जिनपिंग से मुलाकात करने की अब कोई वजह नहीं
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा- चीन की घोषणा के बाद कई देशों ने हमसे संपर्क किया है जो चीन के इस बड़े व्यापारिक विरोध से बेहद नाराज हैं। इसलिए अब APEC में शी जिनपिंग से मुलाकात का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है।
हालांकि यह अभी भी साफ नहीं कहा जा सकता है कि ट्रम्प अपनी धमकियों पर कैसे अमल करेंगे और चीन इसका जवाब कैसे देगा। लेकिन मीडिया से चर्चा के के दौरान ट्रम्प ने बताया कि फिलहाल उन्होंने अपनी मीटिंग रद्द नहीं की है।
ट्रम्प ने लिखा-
चीन बहुत आक्रामक होता जा रहा है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर चिप्स, लेजर, जेट इंजन और बाकी तकनीकों में इस्तेमाल होने वाली धातुओं और चुंबकों तक पहुंच को सीमित कर रहा है। कई देशों ने हमसे संपर्क किया है जो इस बड़े व्यापारिक विरोध से बेहद नाराज हैं, जो अचानक शुरू हुआ है।
राष्ट्रपति ट्रम्प के ऐलान का असर
चीन से रिश्तों पर...
शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद की गई इस घोषणा से ग्लोबल इकोनॉमी में उथल-पुथल मच सकती है। इससे न केवल ट्रम्प का ग्लोबल ट्रेड वॉर फिर से भड़क उठेगा, बल्कि चीनी वस्तुओं पर पहले से ही लगाए जा रहे 30% टैक्स के ऊपर इम्पोर्ट टैक्स लगाने से दोनों देशों के व्यापार में दरार पड़ सकती है।
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ ट्रेड वॉर तब शुरू हुआ, जब ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर 145% टैरिफ लगाया, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 125% इम्पोर्ट टैक्स लगा दिया। ये कर इतने ज्यादा थे कि दोनों देशों के बीच व्यापार पर एक तरह से नाकेबंदी हो गई। बातचीत के बाद अमेरिका ने टैरिफ को 30% और चीन ने 10% तक कम कर दिया ताकि आगे बातचीत हो सके।
ट्रम्प की तरफ से लगाए गए नए इम्पोर्ट टैक्स की धमकी के साथ, इन कम दरों से मिलने वाली राहत अब खत्म हो सकती है। साथ ही यह भी तय करना मुश्किल होगा कि दोनों देशों में किसी विवाद का समाधान कैसे होता है।
अमेरिकी शेयर मार्केट पर...
दुनिया की 2 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ रहे तनाव के कारण अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में भी उथल-पुथल मच गई। S&P 500 इंडेक्स के लगभग हर सात में से छह शेयर गिर गए। एनवीडिया और एपल जैसी बड़ी टेक कंपनियों से लेकर टैरिफ और व्यापार को लेकर अनिश्चितता से उबरने की कोशिश कर रही छोटी कंपनियों के शेयरों तक, लगभग हर चीज कमजोर हुई।
बाजार बंद होने तक S&P 500 इंडेक्स में 2.7% गिरावट रही। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 878 अंक, यानी 1.9% गिरा। नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स 3.6% गिरकर बंद हुआ।