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जिंदा जले 20 लोगों की पहचान के लिए DNA-सैंपलिंग शुरू

दरअसल, मंगलवार दोपहर 3.30 बजे जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर एसी स्लीपर बस में आग लग गई थी। हादसे में 20 यात्रियों की जिंदा जलने से मौत हो गई। हादसा इतना भीषण था कि शव बस की बॉडी पर चिपक गए। कुछ लोग जलकर कोयले जैसे हो गए।

मरने वालों में एक पत्रकार राजेंद्र चौहान भी है। हादसे में एक ही परिवार के 5 लोगों की भी मौत हुई है। अग्निकांड में 15 लोग 70 प्रतिशत तक झुलसे भी हैं। घायलों में एक कपल भी है, जो प्री-वेडिंग शूट कराकर जोधपुर लौट रहा था।

अब पढ़िए- अग्निकांड के बड़े अपडेट

1. बस में पटाखे होने का अंदेशा: स्लीपर बस में आग लगने के कारणों को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे है। सबसे पहले बस में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगने की बात सामने आई थी। इसके बाद एसी का कम्प्रेशर पाइप फटने से आग लगने का दावा था। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि बस की डिग्गी पटाखों से भरी थी, इस कारण आग भड़की।

2. मृतकों को 2 लाख, घायलों को 50 हजार की मदद: जैसलमेर बस हादसे में प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिवार को 2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। पीएम नरेंद्र मोदी ने X पर पोस्ट की है, जिसमें लिखा- राजस्थान के जैसलमेर में हुई दुर्घटना से हुई जान-माल की हानि से मन व्यथित है।

3. मंत्री बोले- कुछ लोग खाक हो गए: गजेंद्र सिंह खींवसर ने बताया- पीछे से धमाके की आवाज आई। हमें लग रहा है एसी का कंप्रेशर फट गया। गैस और डीजल के साथ मिलकर बहुत भीषण आग लगी। एक ही दरवाजा था। इसलिए लोग फंस गए। आगे की सीट वाले निकल गए। बस से जो बॉडी निकाली जा सकीं, आर्मी ने निकाल लीं। जो बिल्कुल ही खाक हो गए, उनका कहा नहीं जा सकता।

बस में पैसेंजर्स की संख्या अब भी कंफर्म नहीं

जैसलमेर कोतवाली पुलिस बुकिंग एजेंट लक्ष्मण से पैसेंजर्स की संख्या को लेकर पूछताछ कर रही है।

उसने अब तक बताया कि गडीसर सर्किल पर लक्ष्मण बुकिंग करके उतर गया था, तब बस में 30 या​त्री सवार थे।

इसके बाद डीआरडीओ से जवान महेंद्र मेघवाल अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ चढ़ा था।

इस तरह 35 यात्री बस में सवार थे। उसके बाद कितने यात्री बस में सवार हुए, इसको लेकर जांच-पड़ताल जारी है।डीएनए सैंपलिंग में देरी से परिवार नाराज

जैसलमेर बस हादसे में जोधपुर निवासी जितेश चौहान की भी मौत हुई है।

वे जोधपुर के नेहरू नगर के रहने वाले थे और जैसलमेर सोलर प्लांट में काम करते थे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा, एक बेटी है।

परिवार डीएनए सैंपल देने के लिए आज सुबह करीब 7:30 बजे महात्मा गांधी हॉस्पिटल पहुंच गया था।

लेकिन अभी तक सैंपल नहीं लिए जाने से परिजनों में आक्रोश है। जितेश के चचेरे भाई अमरचंद ने बताया कि अभी तक सैंपल लेने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।

जिससे वह परेशान हो रहे हैं। उन्हें घर में बच्चों और परिवार को भी संभालना है।

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