जमीन पर लेटे ग्रामीणों को रौंदती निकली गायें:दंगल में लड़े पाड़े, देवास में बच्चों को गोबर में लिटाया; देखिए गोवर्धन पूजा की परंपराएं
कहीं गोवंश आग पर चले तो कहीं बच्चे गोबर में लेटे हरदा में गोवंश को आग के ऊपर से निकाला गया, ताकि वे सालभर स्वस्थ रहें। बड़वानी में पाड़ों का दंगल सजा। देवास में बच्चों को गोबर में लिटाकर अच्छे स्वास्थ्य की कामना की गई। सेंधवा में आतिशबाजी के बीच पशुओं को मंदिर की सात परिक्रमा कराई गईं। उज्जैन के इस्कॉन मंदिर में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजन किया गया। पकवानों का भोग अर्पित किया गया। वहीं, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा चिंतामन जवासिया में संचालित गोशाला में गोवर्धन पूजा की गई।
बुरहानपुर में 50 से ज्यादा पाड़ों की जंग बुरहानपुर में दीपावली के पड़वा पर शाहपुर में वार्षिक पाड़ों की टक्कर का आयोजन किया गया। इस साल करीब 50 से अधिक पाड़ों के जोड़ों के बीच दोपहर 3 बजे से अलग-अलग मुकाबले हुए। देखने के लिए करीब 50 हजार लोग पहुंचे।
खंडवा और बुरहानपुर जिलों के अलावा महाराष्ट्र के रावेर सहित अन्य क्षेत्रों से भी दर्शक शामिल थे। यह परंपरा सालों से कायम है और हर साल दीपावली के पड़वा पर यह मेला आयोजित होता है। पाड़ों की टक्कर शाहपुर-फोपनार रोड पर अमरावती नदी के किनारे आयोजित मेले में हुई।
उज्जैन के इस्कॉन मंदिर में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजन किया गया। पकवानों का भोग अर्पित किया गया। वहीं, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा चिंतामन जवासिया में संचालित गौशाला में गोवर्धन पूजा की गई। गौशाला की करीब 260 गायों को नहला धुलाकर साज-सज्जा की गई।
गोवर्धन पूजा की परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। उससे पूर्व ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी। भगवान श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों को तर्क दिया कि इंद्र से हमें कोई लाभ नहीं है। वर्षा करना उनका कर्तव्य है इसलिए इंद्र की नहीं, गोवर्धन की पूजा की जानी चाहिए। इससे नाराज होकर इंद्र ने ब्रज में सात दिन तक भारी वर्षा की। श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाकर सभी गोकुलवासियों को इंद्र के कोप से बचा लिया।
श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियों को आज्ञा दी कि अब से प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इसके बाद से ही इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का विधान शुरू हो गया।
