बिहार चुनाव में जीत के लिए 'तंत्र-मंत्र' का सहारा! उज्जैन के श्मशान में तांत्रिकों का लगा जमावड़ा, धनतेरस से चल रहे अनुष्ठान
अमावस्या और तंत्र साधना का विशेष संयोग
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक अमावस्या (दीपावली) साल की सबसे विशेष अमावस्या होती है. इस रात श्मशान में यश, वैभव, धनधान्य और वर्चस्व की प्राप्ति के लिए तंत्र क्रियाएं की जाती हैं. इस दौरान भैरव बाबा, मां काली और मां लक्ष्मी की साधना के साथ धन के देवता कुबेर और गणेशजी का भी पूजन किया जाता है.
उज्जैन के श्मशान को देश के पांच प्रसिद्ध श्मशानों (कामाख्या, तारापीठ, रजरप्पा, त्र्यंबकेश्वर) में गिना जाता है, जहाँ तंत्र साधना का विशेष प्रभाव माना गया है. कुछ तांत्रिक उल्लू की बलि देकर (मां लक्ष्मी उल्लू पर सवार हैं), कछुआ साधना, कोड़ी साधना, रत्ती साधना और गौरी-गणेश साधना भी करते हैं.
दीपावली की रात जब पूरा शहर रौशनी से जगमगाता है, तब कुछ साधक अंधकार में डूबकर शक्ति, सिद्धि और लक्ष्मी के आह्वान की दिव्यता की तलाश करते हैं.
25 से 30 हजार रुपए का खर्च तंत्र क्रिया से जीत का दावा करने वाले भय्यू महाराज ने बताया कि इस अनुष्ठान में 25 से 30 हजार रुपए तक का खर्च आता है। अब तक राष्ट्रीय जनता दल के दो प्रत्याशी उज्जैन के श्मशान में तंत्र साधना करा चुके हैं।
नलखेड़ा के बगलामुखी पीठ में मिर्ची अनुष्ठान भय्यू महाराज ने कहा- टिकट फाइनल होने के बाद तंत्र क्रिया और विजय अनुष्ठान के लिए प्रत्याशी हमसे संपर्क करते हैं। एक अनुष्ठान दिवाली की रात को किया जा चुका है।
इस अनुष्ठान में विजय प्राप्ति के लिए भैरव साधना और बगला मुखी साधना की जा रही है। नलखेड़ा के बगलामुखी पीठ में भी तंत्र साधना और मिर्ची अनुष्ठान के लिए कई लोग संपर्क कर रहे हैं। ऐसा माना जाता कि पांडवों ने भी बगलामुखी पीठ में हवन किया था, जिसके बाद उन्हें युद्ध में जीत मिली थी।
2018 और 2023 में भी की थी साधना भय्यू महाराज ने कहा- मान्यता है कि उज्जैन का चक्रतीर्थ जाग्रत श्मशान है। यहां किए गए तप और अनुष्ठान सौ प्रतिशत सफलता दिलाते हैं। धनतेरस की रात से विशेष अनुष्ठान शुरू कर दिए गए हैं।
इससे पहले 2018 और 2023 में भी तांत्रिक भय्यू महाराज ने तंत्र अनुष्ठान किए थे। जीत के लिए बगलामुखी, भैरवी, भैरव, पुतली साधना के साथ विजय अनुष्ठान किया गया था। 2023 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए विजय अनुष्ठान किया गया था। ये पूजन गुप्त रूप से एक साधक ने करवाया था।
सबसे ज्यादा कामाख्या में होती है तंत्र साधना देश में सबसे ज्यादा तंत्र साधना असम के कामाख्या पीठ में होती है। यहां भूतनाथ श्मशान में तांत्रिकों का मेला लगता है। दूर-दूर से लोग यहां आकर तंत्र साधना करवाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि यहां भी चुनावों में जीत के लिए अनुष्ठान कराए जाते हैं।
