यूपी के 10 जिलों में बारिश...काशी में अक्टूबर सबसे ठंडा:होर्डिंग को बाइक सवारों ने बनाई छतरी, फसलें डूबीं, गलियों में भरा पान
बारिश धान की फसल के लिए नुकसानदायक बारिश और तेज हवा का असर धान की फसल पर पड़ा है। कहीं धान की फसल कटने को तैयार है तो कहीं कटकर सूखने के लिए खेत में पड़ी है। ऐसे में कई जिलों में तेज हवा से खड़ी फसलें गिर गई हैं। कई जगह खेत में कटी फसल भीग गई। ऐसे में धान के दाने खराब होने और फफूंद लगने की आशंका बढ़ गई है।
सीएम योगी ने अफसरों को सर्वे कराकर आपदा से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। वहीं, गेहूं की बुआई के लिए मौसम सही है। बारिश से मिट्टी में पर्याप्त नमी आ चुकी है, जिससे बिना सिंचाई के जोताई और बुआई आसान हो गई है। इससे अंकुरण अच्छा होगा। चना, मसूर, मटर और सरसों की बुआई के लिए भी अच्छा समय है।
वाराणसी में 8 साल बाद अक्टूबर का पारा सबसे कम
BHU मौसम वैज्ञानिक मनोज श्रीवास्तव ने बताया- वाराणसी में 8 साल बाद अक्टूबर महीने का पारा सबसे कम दर्ज किया है। 2025 में अधिकतम पारा 23.8°C और न्यूनतम पारा 20.8°C रिकॉर्ड किया गया। जबकि 2018 में अधिकतम 33°C और न्यूनतम 19.5°C पारा दर्ज किया गया था।
इस साल मानसून में कितनी बारिश हुई?
यूपी में इस साल मानसून सीजन में पश्चिम से लेकर पूर्वांचल तक जमकर बरसात देखने को मिली। इसकी वजह से मानसून सीजन में बारिश का कोटा पूरा हो गया। मानसून सीजन में ( 1 जून से 30 सितंबर) तक औसत 701.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि 1 से 10 अक्टूबर के बीच राज्य में 42.3 मिमी बारिश हुई।
यानी पूरे सीजन में कुल 743.9 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य बारिश 746.2 के लगभग बराबर है। मानसून के चार महीने में प्रदेश के 13 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई, जबकि 30 जिलों में कोटे से सामान्य बारिश दर्ज की गई।
आंधी-बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। अभी भी कई जगहों पर धान की फसल या तो कटकर खेतों में पड़ी है या कटने वाली है। ऐसे में बारिश से फसल भीगने और खराब होने का खतरा है। मंगलवार को लखनऊ, कानपुर समेत 10 शहरों में बारिश हुई, जबकि जौनपुर और भदोही सहित 20 से अधिक जिलों में बादल छाए रहे।
