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अनंत सिंह, सूरजभान, सोनू-मोनू और टाल का गुट... मोकामा में गैंगवॉर और अदावत की खूनी कहानी

मोकामा बिहार का एक औद्योगिक केंद्र था. ब्रिटिश काल में वहां रेलवे यार्ड और कारखाने चमकते थे. लेकिन 1980 के दशक से ही वहां अपराध ने जुर्म ने कब्जा जमा लिया. गंगा के टाल क्षेत्र में जमीन और वर्चस्व की लड़ाई ने गैंगवार को जन्म दिया. अनंत सिंह जैसे बाहुबलियों का उदय हुआ. यह इलाका दलहन की खेती के लिए मशहूर था लेकिन अब वहां से हिंसा की खबरें आती हैं. पुलिस रिपोर्ट्स के मुताबिक, वहां हर साल दर्जनों गोलीबारी की घटनाएं होती हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि कानून यहां कम और गुटों का राज ज्यादा चलता है. मोकामा की मिट्टी खून से लाल होती रही है.

अनंत सिंह का जन्म 1961 में मोकामा के लदमा गांव में हुआ. वह भूमिहार समाज से है और इलाके का सबसे बड़े बाहुबली माना जाता है. 1990 के दशक से वह मोकामा से विधायक बना. JDV और राजद दोनों पार्टियों से चुनाव लड़ा. साल 2020 के हलफनामे के मुताबिक, उनके खिलाफ 38 आपराधिक मामले दर्ज थे. उस पर हत्या, अपहरण और रंगदारी जैसे संगीन आरोप थे. साल 2019 में उसके घर से AK-47 राइफल बरामद हुई थी. इससे उसे 10 साल की सजा मिली थी लेकिन साल 2024 में वो बरी हो गया. उसके समर्थक उसे जननेता कहते हैं उसकी संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा बताई जाती है. उसके पास लैंड क्रूजर जैसी लग्जरी और महंगी कारें हैं.

सूरजभान सिंह भी मोकामा का बाहुबली है. वो साल 2000 में जेल से ही विधायक बना था. उसने माफिया अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को हराया था. सूरजभान पर रामी सिंह की हत्या का मुकदमा चला. हाल ही में सूरजभान राजद में शामिल हुए. उनकी पत्नी वीणा देवी मोकामा से राजद की उम्मीदवार हैं. सूरजभान ने अनंत सिंह की तुलना रावण से की थी. सूरजभान ने कहा कि रावण जैसा ताकतवर भी खत्म हो गया था. सूरजभान की एंट्री से मोकामा में बाहुबली vs बाहुबली की लड़ाई तेज हो गई है. वे टाल क्षेत्र की जलजमाव समस्या हल करने का वादा कर रहे हैं. सूरजभान का प्रभाव यादव और राजपूत वोटों पर है.

 सोनू और मोनू सगे भाई हैं. वे मोकामा के जलालपुर गांव के रहने वाले. उनके पिता वकील हैं. दोनों ईंट भट्ठे का कारोबार करते हैं. उनके खिलाफ 12 से ज्यादा हत्या, अपहरण और रंगदारी के मामले दर्ज हैं. खास बात ये है कि ये दोनों कभी अनंत सिंह के लिए काम किया करते थे लेकिन अब इनके बीच दुश्मनी है. साल 2017-18 में इन दोनों भाईयों ने माफिया अनंत सिंह की हत्या की साजिश रची थी. दरअसल, पंचायत चुनाव ने इनके आपसी रिश्ते बिगाड़े थे. जनवरी 2025 में नौरंगा गांव में इन लोगों ने 60-70 राउंड फायरिंग की थी. सोनू ने कहा, शस्त्र-शास्त्र की परिभाषा सिखाएंगे. मोनू को अगस्त 2025 में STF ने गिरफ्तार किया था. उनका गैंग UP के मुख्तार अंसारी गैंग से जुड़ा बताया जाता है.

 मोकामा का टाल क्षेत्र गंगा के किनारे बसा है. जहां दुलारचंद यादव का गुट 1980 के दशक से राज करता था. दुलारचंद जमीन कब्जा, रंगदारी और फायरिंग के मामलों का आरोपी था. साल 2019 में ASP लिपी सिंह ने उसे गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ कई थानों में केस दर्ज थे. वह बाहूबली अनंत सिंह को ललकारता था. दुलारचंद कहता था कि छोटे सरकार के खिलाफ बड़ा सरकार आ गया है. साल 2025 के चुनाव में वह जनसुराज के पीयूष प्रियदर्शी का प्रचार कर रहे थे. टाल में उनका दबदबा था लेकिन दुश्मन भी सैकड़ों थे. स्थानीय लोग कहते हैं, टाल का गुट कभी चोरी से शुरू हुआ था लेकिन वो हिंसा में बदलता गया. दुलारचंद की मौत ने इनके बीच की पुरानी अदावतों को उजागर कर दिया है.

 मोकामा में गैंगवार की जड़ें 1980 से जमने लगीं थीं. नतीजा ये हुआ कि माफिया डॉन अनंत सिंह और विवेका पहलवान के बीच खूनी रंजिश चलने लगी. क्योंकि लदमा गांव में दोनों के घर थे. गोलीबारी के चलते कई परिवारों ने अपनों को खो दिया था. भूमिहार-राजपूत जातीय जंग ने आग लगा कर रख दी थी. इस वजह से सोनू-मोनू जैसे नए गुट उभरे. वर्चस्व की इस लड़ाई में जमीन, रंगदारी और पंचायत चुनाव कारण बने. पुलिस रिपोर्ट्स कहती हैं, टाल इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. साल 1990 से अब तक वहां सैकड़ों घटनाएं हुईं. अनंत सिंह का कहना है, ये सूरजभान की साजिश थी. लेकिन इतिहास गवाह है कि मोकामा में कानून कम, गुट ज्यादा चलते हैं.

 22 जनवरी 2025 के दिन नौरंगा-जलालपुर गांव में हंगामा मच गया. अनंत सिंह वहां एक विवाद सुलझाने पहुंचा था. उसी दौरान पूरा इलाका अचानक गोलियों की आवाज़ से गूंजने लगा. सोनू-मोनू गैंग ने वहां 60-70 राउंड फायरिंग की. जिसमें अनंत सिंह बाल-बाल बच गया. दरअसल, वहां मुकेश सिंह नाम के एक शख्स के घर पर ताला लगाने को लेकर झगड़ा हुआ था. पुलिस ने इस घटना के बाद तीनों के खिलाफ FIR दर्ज की. अनंत सिंह के समर्थकों ने भी जवाबी फायरिंग की. इलाके में तनाव फैल गया. STF ने इस मामले की जांच शुरू की. तब सोनू ने कहा, राजनीतिक बगावत जारी रहेगी. जवाब में अनंत ने कहा था, दुश्मनी पुरानी है. इस घटना ने मोकामा को फिर सुर्खियों में ला दिया था.

 30 अक्टूबर 2025 को घोसवारी इलाका उस वक्त दहल उठा, जब वहां दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई. दुलारचंद जनसुराज पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे. उसी दौरान वे अनंत सिंह के काफिले के पीछे थे. बताया जा रहा है कि पहले अनंत सिंह के समर्थकों ने लाठी-डंडों से हमला किया था. FIR में अनंत सिंह, कर्मवीर सिंह समेत पांच लोग नामजद हैं. दुलारचंद के पोते का कहना है कि उनके दादा की हत्या अनंत ने कराई है. जिस पर अनंत सिंह ने उल्टा सूरजभान पर आरोप लगाते हुए कहा कि दुलारचंद उनका शागिर्द था. दुलारचंद की अंतिम यात्रा में हजारों लोग पहुंचे. इस दौरान दुकानें बंद रहीं, नारे भी लगे. पुलिस ने मौका-ए-वारदात पर FSL टीम बुलाई और जांच पड़ताल शुरू कर दी. चुनाव से ठीक पहले इस घटना ने बिहार को हिला दिया.

 साल 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में मोकामा हॉट सीट बनी हैं. अनंत सिंह जेडीयू से, वीणा राजद से चुनाव मैदान में ताल ठोक रही है. जनसुराज का पीयूष प्रियदर्शी भी मैदान में है. हालांकि दुलारचंद यादव की हत्या ने माहौल बिगाड़ा है. उसके काफिले पर हमला किया गया, गाड़ियां तोड़ी गईं. प्रशांत किशोर ने इस घटना की निंदा की है. जेडीयू ने कहा कि कानून अपना काम करेगा. अनंत के समर्थक कह रहे हैं, ये साजिश है. वोटिंग 3 दिन दूर है लेकिन हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. मोकामा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

पुलिस ने अब दुलारचंद हत्याकांड को लेकर FIR दर्ज की है. जिसमें अनंत सिंह समेत पांच लोग नामजद हैं. FSL टीम ने मौका-ए-वारदात से सबूत जुटाए हैं. इसी बीच सोनू-मोनू पर आर्म्स एक्ट और फायरिंग के मामले में तीन FIR दर्ज की गई हैं. STF ने एक आरोपी मोनू को पकड़ लिया है. पुलिस इलाके में कैंप कर रही है. मोकामा में भारी पुलिस फोर्स तैनात है.

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