क्या है वाराणसी की कहानी? इसे क्यों कहा जाता है दुनिया का सबसे प्राचीन शहर, किसने की इसकी स्थापना
कैसे पड़ा वाराणसी का नाम?
वाराणसी शहर का नाम दो नदियों, वरुणा और असि के नामों से मिलकर पड़ा है। इन नदियों के बीच स्थित होने की वजह से ही इसका नाम 'वाराणसी' पड़ा, जिसका अर्थ है वरुणा और असि के बीच की भूमि। इसके अलावा इस शहर को काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है। काशी को भगवान शिव की नगरी माना गया है।
वाराणसी की कहानी
पौराणिक कथाओं अनुसार वाराणसी शहर के रक्षस स्वयं भगवान शिव हैं। कहा जाता है कि ये नगरी शिव के त्रिशूल पर ही टिकी है जिस कारण से इसका कभी नाश नहीं हो सकता। हिंदू धर्मग्रंथों में काशी का उल्लेख कई स्थानों पर मिलता है। स्कंद पुराण और काशी खंड में बताया गया है कि भगवान शिव को यह नगरी इतनी प्रिय है कि उन्होंने इसे अपने निवास स्थान के रूप में चुना। धर्म शास्त्रों में ये भी बताया गया है कि जब प्रलय आता है और पूरी सृष्टि नष्ट हो जाती है, तब भी काशी अपनी जगह पर टिकी रहती है। यही कारण है कि इसे दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी माना जाता है। काशी में भगवान शिव बाबा विश्वनाथ के रूप में निवास करते हैं। कहा जाता है कि काशी में मृत्यु को प्राप्त करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसलिए भगवान शिव ने वाराणसी को त्रिशूल पर किया धारण
वाराणसी को भगवान शिव और देवी पार्वती का घर माना गया है। कथाओं के अनुसार जब असुरों और देवताओं के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया था तो असुरों ने काशी में हाहाकार मचा दिया था। तब भगवान शिव ने अपने त्रिशूल का प्रयोग कर काशी की रक्षा की। कहते हैं त्रिशूल पर वाराणसी को स्थापित करने का उद्देश्य इस नगरी को विनाश और कालचक्र से परे रखना था।
