पहली बार ''आतंक'' में नहीं आया नाम, अल-फलाह यूनिवर्सिटी का ये छात्र अहमदाबाद, जयपुर और गोरखपुर में करा चुका है धमाके
अहमदाबाद ब्लास्ट में था अल-फलाह का स्टूडेंट
जान लें कि इंडियन मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य मिर्जा शादाब बेग भी अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र रह चुका है। बेग ने 2008 में फरीदाबाद स्थित अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन) पूरा किया था। उसी साल, अहमदाबाद में हुए सीरियल धमाकों में वह शामिल पाया गया। यानी पढ़ाई के दौरान ही वह हमलों की प्लानिंग कर रहा था। यह आतंकी पिछले कई साल से भागा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, इसकी लोकेशन अफगानिस्तान में बताई जाती है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर बढ़ी जांच की रफ्तार
दिल्ली धमाके के बाद फरीदाबाद के धौज में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर से जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई है। बता दें कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की शुरुआत अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के रूप में हुई थी। बाद में 2014 में हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज अमेंडमेंट एक्ट के तहत इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला।
2008 के जयपुर ब्लास्ट में थी मिर्जा शादाब की भूमिका
मिर्जा शादाब बेग, इंडियन मुजाहिदीन का एक बेहद अहम सदस्य था। 2008 के जयपुर धमाकों में विस्फोटक इकट्ठा करने के लिए मिर्जा शादाब बेग उडुपी गया था। वहीं पर मिर्जा शादाब बेग ने रियाज और यासीन भटकल को बड़ी मात्रा में डेटोनेटर और बेयरिंग मुहैया कराए थे, जिनसे IED तैयार किए गए। इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के कारण बेग, बम बनाने की तकनीक में काफी माहिर माना जाता था।
अहमदाबाद सीरियल धमाकों में भी था रोल
अहमदाबाद धमाकों से करीब 15 दिन पहले बेग अहमदाबाद पहुंचा था और उसने पूरे शहर की रेकी की थी। बेग ने 3 टीमों के साथ मिलकर धमाकों की प्लानिंग की और लॉजिस्टिक, IED फिटिंग और बम तैयार करने का काम किया था।
2007 के गोरखपुर सिलसिलेवार धमाकों में भी आया था नाम
गोरखपुर में हुए 2007 के बम धमाकों में भी मिर्जा शादाब बेग का नाम सामने आया था। इन धमाकों में 6 लोग घायल हुए थे। बाद में आईएम से लिंक जुड़ने पर गोरखपुर पुलिस ने उसकी संपत्ति कुर्क कर ली थी।
अब तक नहीं पकड़ा गया मिर्जा शादाब बेग
2008 में इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क के खुलासे के बाद से मिर्जा शादाबा बेग फरार है। जयपुर, अहमदाबाद और गोरखपुर के धमाकों में नाम आने के बाद उस पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। सूत्रों के अनुसार, 2019 में यह आखिरी बार अफगानिस्तान में लोकेट हुआ था।
