क्या गौतम गंभीर की गलतियों का खामियाजा भुगत रहा भारत:सिर्फ 3 स्पेशलिस्ट बैटर, ऑलराउंडर्स बेदम साबित हो रहे; एक्सपर्ट बोले- टेस्ट कोच बदलना चाहिए
टेस्ट में गंभीर की 4 बड़ी गलतियां
गलती-1: सिर्फ 3 स्पेशलिस्ट बैटर
गौतम गंभीर की कोचिंग में टीम इंडिया व्हाइट बॉल के साथ रेड बॉल क्रिकेट में भी ऑलराउंडर्स पर बहुत ज्यादा जोर देने लगी। इसका असर ये हुआ कि टीम में 3 या 4 स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों को ही मौका मिल पा रहा है। साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में तो भारत ने दोनों टेस्ट में 3-3 स्पेशलिस्ट बैटर्स को ही खिलाया। यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल ने दोनों टेस्ट खेले, वहीं पहले में शुभमन गिल और दूसरे में साई सुदर्शन को मौका मिला।
पहले मैच में भारत के 3 बैटर्स स्पिन पिच पर कुछ खास नहीं कर सके, लेकिन दूसरे मुकाबले की पहली पारी में तीनों ने 95 रन बनाए। जबकि 4 से 7 नंबर के बल्लेबाज मिलकर 23 रन ही बना सके। ऋषभ पंत और ध्रुव जुरेल जैसे खिलाड़ी तो रिस्की शॉट खेलने की कोशिश में अपना विकेट दे बैठे। जबकि इस फॉर्मेट में इन शॉट्स की कुछ खास जरूरत भी नहीं रहती।
गलती-2: बैटिंग ऑर्डर में ज्यादा एक्सपेरिमेंट
गंभीर की कोचिंग में टीम इंडिया की नंबर-3 की बैटिंग पोजिशन फिक्स नहीं हो पा रही। साउथ अफ्रीका टेस्ट को ही देखें तो यहां पहले मुकाबले में वॉशिंगटन सुंदर और दूसरे में साई सुदर्शन ने नंबर-3 पर बैटिंग की। इस पोजिशन पर करुण नायर को भी मौका दिया गया, लेकिन किसी भी प्लेयर को ज्यादा समय तक यह पोजिशन नहीं मिली।
गंभीर के कोच बनने से पहले 25 साल भारत को इस पोजिशन की चिंता नहीं करनी पड़ी। पहले राहुल द्रविड़ तो बाद में चेतेश्वर पुजारा ने इस पोजिशन को संभाला और कई तरह की सिचुएशन में टीम को बिखरने से रोका। नंबर-5 की पोजिशन भी परेशानी की बात है, यहां ऋषभ पंत, ध्रुव जुरेल और रवींद्र जडेजा को ट्राई किया जा रहा है। इस पोजिशन को वीवीएस लक्ष्मण और अजिंक्य रहाणे ने संभाले रखा था, लेकिन अब यहां भी बहुत ज्यादा एक्सपेरिमेंट हो रहे हैं। जिससे टीम में स्थिरता नहीं आ पा रही।
गलती-3: स्ट्राइक फिंगर स्पिनर की कमी
टीम इंडिया में विकेट टेकिंग फिंगर स्पिनर की भी कमी होने लगी है। एशियन कंडीशन में 2013 से 2023 तक भारत के दबदबे की बड़ी वजह रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा की स्पिन जोड़ी रही। न्यूजीलैंड से पिछले साल घर में क्लीन स्वीप के बाद भारत के सेकेंड टॉप विकेट टेकर रविचंद्रन अश्विन ने रिटारयरमेंट ले लिया।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अश्विन की जगह ऑफ स्पिन ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर को प्राथमिकता दी गई। जिसके बाद उन्होंने आगे खेलना कन्टीन्यू नहीं किया। अश्विन टीम के स्ट्राइक बॉलर थे, उनके जाने के बाद जडेजा अकेले पड़ जा रहे हैं। नए कप्तान भी जडेजा की बॉलिंग को उतने बेहतर तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे, जिस तरीके से एमएस धोनी और विराट कोहली करते थे।
टीम मैनेजमेंट अब सुंदर और अक्षर पटेल जैसे स्पिन ऑलराउंडर्स पर फोकस कर रही है, लेकिन उनमें अश्विन जैसी विकेट लेने वाली क्षमता नजर नहीं आती। घरेलू क्रिकेट में साई किशोर, सारांश जैन और सौरभ कुमार जैसे स्ट्राइक फिंगर स्पिनर्स हैं, लेकिन उन्हें मौके नहीं मिल रहे।
गलती-4: ऑलराउंडर्स बेदम साबित हो रहे
सुंदर, अक्षर, जडेजा और नीतीश रेड्डी की ऑलराउंड स्किल पर बहुत ज्यादा भरोसा दिखाया जा रहा है। ज्यादातर मुकाबलों में 4 में से 3 खिलाड़ी तो प्लेइंग-11 का हिस्सा रहते ही हैं। उनकी काबिलियत अच्छी है, लेकिन यह टेस्ट में टीम इंडिया के काम नहीं आ रही। सुंदर और अक्षर बैट से तो प्रभाव छोड़ पा रहे हैं, लेकिन टेस्ट टीम में ऑफ स्पिनर का काम नहीं कर पा रहे।
जडेजा कई बार विकेट झटक ले रहे हैं, लेकिन एशियन कंडीशन में उनकी बैटिंग फ्लॉप ही साबित हो रही। नीतीश रेड्डी को तो इंडियन कंडीशन में प्लेइंग-11 में शामिल करने का कोई मतलब ही नहीं नजर आ रहा। न तो उनके बैट से रन आ रहे और न ही वे अपनी गेंदबाजी में कमाल कर पा रहे। उन्हें ज्यादा बॉलिंग के मौके भी नहीं दिए जा रहे। उनकी जगह किसी स्पेशलिस्ट बल्लेबाज को मौका देकर टीम ज्यादा फायदा हासिल कर सकती है।
13 महीने में दूसरी घरेलू सीरीज हार का खतरा
गौतम गंभीर को जुलाई 2024 में भारत का हेड कोच बनाया गया। उनकी कोचिंग में भारत ने बांग्लादेश को 2-0 से सीरीज हराई। न्यूजीलैंड ने 36 साल से भारत में कोई टेस्ट नहीं जीता था, लेकिन गंभीर की कोचिंग में न्यूजीलैंड ने न सिर्फ मुकाबला जीता, बल्कि सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप भी कर लिया। भारत को होम कंडीशन में 12 साल बाद सीरीज हार का सामना करना पड़ा था।
न्यूजीलैंड के खिलाफ हार के 13 महीने के अंदर ही भारत को साउथ अफ्रीका ने कोलकाता में टेस्ट हरा दिया। टीम को भारत में आखिरी जीत 15 साल पहले मिली थी। इतना ही नहीं साउथ अफ्रीका के पास 25 साल बाद भारत में सीरीज जीत का मौका भी है।
4 घरेलू टेस्ट हारने में 12 साल लगे थे
गौतम गंभीर अपने 18 महीने के कोचिंग करियर में 4 घरेलू टेस्ट हार चुके हैं। साउथ अफ्रीका अगर गुवाहाटी में जीत गई तो गंभीर की कोचिंग में 5वीं हार होगी। इससे पहले भारत को घर में 4 टेस्ट हारने में 12 साल लग गए थे।
2012 में डंकन फ्लेचर की कोचिंग में इंग्लैंड के खिलाफ भारत को 2-1 की सीरीज हार मिली थी। इसके बाद अनिल कुंबले की कोचिंग में ऑस्ट्रेलिया और रवि शास्त्री की कोचिंग में इंग्लैंड ने 1-1 बार हराया। वहीं राहुल द्रविड़ की कोचिंग में 2 हार मिली। यानी 12 साल में 3 अलग-अलग कोच रखने के बावजूद टीम को 4 ही टेस्ट में हार मिली, इस दौरान टीम ने 40 मैच जीते। वहीं गंभीर की कोचिंग में न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका ने 13 महीने में ही 4 टेस्ट हरा दिए। टीम ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का तो अब तक घर में सामना भी नहीं किया है।
गंभीर ऑस्ट्रेलिया में भी जिता नहीं सके
गंभीर की कोचिंग में भारत 19वां टेस्ट खेल रहा है। इनमें 5 ऑस्ट्रेलिया में, 5 इंग्लैंड में और बाकी घर में रहे। घर में टीम ने बांग्लादेश और वेस्टइंडीज को 4 मैच हराए, लेकिन बाकी 4 मैच गंवा दिए। ऑस्ट्रेलिया में भी भारत ने कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया। पर्थ में जसप्रीत बुमराह की कप्तानी से पहला टेस्ट जीता, लेकिन कप्तान रोहित शर्मा के लौटते ही सीरीज 3-1 से गंवा दी।
इसी सीरीज में रविचंद्रन अश्विन ने संन्यास लिया था। वहीं सीरीज के बाद मई में कप्तान रोहित शर्मा और दिग्गज विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इंग्लैंड में युवा कप्तान शुभमन गिल की लीडरशिप में भारत ने 5 टेस्ट की सीरीज 2-2 से ड्रॉ करा दी, लेकिन अब साउथ अफ्रीका से सीरीज हार के हालात बन गए।
चैंपियंस ट्रॉफी और टी-20 एशिया कप जिताया
गंभीर टेस्ट में जितने खराब कोच हैं, टी-20 में उतने ही बेहतरीन हैं। वहीं वनडे में उनका प्रदर्शन मिलाजुला रहा। टी-20 फॉर्मेट में भारत ने 1 जुलाई 2024 से 32 मैच खेले। 26 जीते और महज 4 गंवाए। 2 बेनतीजा रहे। टीम ने एशिया कप जीता और टूर्नामेंट में पाकिस्तान को लगातार 3 मैच भी हराए। वनडे में गंभीर की कोचिंग में भारत ने इंग्लैंड को सीरीज हराई और चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब भी जीता। हालांकि, टीम श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया में सीरीज नहीं जीत सकी।
