राम मंदिर के सारे बड़े कार्य अभिजीत मुहूर्त में ही क्यों होते हैं? चाहे भूमि पूजन हो या रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और अब ध्वजारोहण, क्या है इस मुहूर्त का महत्व
अभिजीत मुहूर्त का महत्व (Abhijit Muhurat Ka Mahatva)
धर्म-शास्त्रों अनुसार अभिजीत मुहूर्त सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त होता है। यह विजय और यश प्राप्ति का मुहूर्त होता है। यह मुहूर्त प्रतिदिन 48 मिनट का होता है और दिन में ठीक 12 बजे इसी अभिजीत मुहूर्त में भगवान राम का जन्म भी हुआ था इसलिए सनातन धर्म में इस मुहूर्त का खास महत्व माना जाता है। यही कारण है कि अयोध्या राम मंदिर के सारे शुभ काम इसी मुहूर्त में किए जाते हैं। किसी भी मन्दिर में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा से लेकर मन्दिर से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण आयोजनों के लिए यह मुहूर्त मुख्य होता है। शास्त्रों में इसे ईश्वरीय समय माना गया है। सूर्य इस समय नभ में एकदम ऊपर विराजमान होते हैं। इस तरह से सूर्य भगवान का पूर्ण आशीर्वाद अभिजीत मुहूर्त में ही प्राप्त होता है। कहते हैं इस मुहूर्त में किया गया कोई भी धार्मिक कार्य प्रत्यक्ष श्री विष्णु को प्राप्त होता है।
दोषों से मुक्त होता है ये मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त किसी तिथि, वार या नक्षत्र पर निर्भर नहीं करता है इसलिए यह मुहूर्त त्रिकालदोष और पंचांग दोषों से भी मुक्त माना जाता है। यही कारण है कि धार्मिक कार्यों के लिए अधिकतर यही समय चुना जाता है।
शास्त्रों में अभिजीत मुहूर्त का वर्णन
- वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि भगवान राम का अवतरण अभिजीत मुहूर्त में ही हुआ था इसलिए यह समय धार्मिक कार्यों को करने के लिए अत्यंत शुभ होता है।
- अभिजीत मुहूर्त को भगवान विष्णु का काल माना गया है इसलिए इस मुहूर्त में किए गए कार्यों में भगवान विष्णु का आशीर्वाद स्वतः प्राप्त हो जाता है।
- अभिजीत मुहूर्त विजय दायक मुहूर्त भी माना जाता है।
- ये दोषरहित और सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त होता है।
- बहुत बार तिथियों या नक्षत्रों में दोष बन जाते हैं लेकिन अभिजीत मुहूर्त इन सबसे परे होता है।
